आज के इस लेख में मैं आप सभी को यही बताऊंगा कि किस तरह से आप कंसिस्टेंट हो सकते हैं। जो व्यक्ति कंसिस्टेंट है और जो कंसिस्टेंट नहीं है इन दोनों के बीच आखिर अंतर क्या है ?
तो अगर आप नेटवर्क मार्केटिंग करते हैं तो नेटवर्क मार्केटिंग बिजनेस के अंदर आपका कोई भी बॉस नहीं होता है। आप अपना बॉस खुद होते हैं किसी का भी आपके ऊपर यह दबाव नहीं होता है कि आपको यह काम करना ही पड़ेगा।
आपको कोई भी यह नहीं बोलता है कि अगर आप ऐसे नहीं करेंगे तो आपका तनख्वाह काट ली जाएगी। या फिर आपको इस जॉब से निकाल दिया जाएगा ऐसा कुछ भी नहीं है।
तो सबसे बड़ी कमी है कंसिस्टेंट ना होने की, कि आप अपने दिमाग को यह बता देते हैं कि इस बिजनेस में कोई भी मेरा बॉस नहीं है और आप इस बिजनेस को कैजुअली लेने लगते हैं।
तो मैं आप सभी को यह बता दूँ कि इस बिजनेस को लेकर आपको थोड़ा सा सीरियस होना पड़ेगा। तो अब मैं आप सभी को ही बताऊंगा कि आपको सीरियस कैसे होना है।
और इस तरह से अगर आप टारगेट बना लेते हैं तो यही 15 से ₹20000 कब करोड़ों रुपए में कन्वर्ट हो जाएंगे आप को पता भी नहीं चलेगा।
तो इसलिए आपको अपने दिमाग को यह डायरेक्शन देना है कि मुझे हर महीने 15 से ₹20000 किसी भी हाल में चाहिए। आप अपने दिमाग को डायरेक्शन देने लगेंगे तो आप अपने आप ही कंसिस्टेंट हो जाएंगे।
आप अपने आप ही टाइम से काम करने लगेंगे हमेशा मोटिवेट रहेंगे। अब यहां पर मैं आप सभी को यह बताना चाहूंगा कि कंसिस्टेंसी क्यों नहीं होती है ?
तो इस दुनिया में हर एक व्यक्ति ऐसा है जिसका फ्लो खराब होती है। फ्लो खराब होने के बाद हर व्यक्ति को डिमोटिवेशन आती है और उस टाइम पर चेक भी नहीं बनते हैं।
अपने डाउन लाइन से दूर रहना चाहेंगे किसी भी सेमिनार में नहीं जाएंगे किसी भी बेविनार में नहीं जाएंगे। क्योंकि आपके अंदर एक ऐसा फिलिंग आएगा जिससे आप यह सोचेंगे कि कुछ भी नहीं हो पा रहा है।