Network Marketing: ये है 10 में से 9 ज्वाइनिंग करने का बेस्ट तरीका इसे सिख लो बहुत जल्द ही डायमंड बनोगे This is the best way to join 9 out of 10, learn it, very soon you will become a diamond
Network Marketing Join 9 Out of 10. क्या आप प्लान दिखाने के बाद 10 लोगों में से 9 लोगों को ज्वाइन करा पाते हैं?
अगर आप लोगों को ज्वाइन कराने में सफल हो गए तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको इस बिजनेस में कामयाब होने से नहीं रोक सकती।
आप जहां भी जाएंगे जिसको भी ज्वाइन करने जाएंगे वह लोग आपके साथ जरूर जुड़ेंगे।
आप टीम बनाएंगे और आपके फॉलोवर जुड़ेंगे आप जो टारगेट सेट करेंगे उसे अचीव कर पाएंगे।
सबसे पहले यह समझते हैं कि क्लोजिंग कैसे करें और क्लोजिंग में इमरजेंसी कैसे क्रिएट करें।
अगर आप क्लोजिंग में इमरजेंसी क्रिएट करना सीख गए तो 10 में से 9 लोगों को ज्वाइन करना सीख पाएंगे।
और इससे फायदा क्या होगा कि यही चीज आप अपनी टीम को सिखा पाएंगे और जो ग्रोथ आप महसूस करेंगे उसी प्रकार से ग्रोथ आपकी टीम में भी आएगा और आपका बिजनेस एक नए आयाम पर जा सकता है।
Point 1: Network Marketing Join 9 Out of 10
महत्वपूर्ण बिन्दू
आपका खुद का माइंडसेट
आप सबसे पहले प्लान दिखाने जाते हैं, फॉलो-अप करने जाते हैं, आप लोगों को ज्वाइन कराने जाते हैं, पॉजिटिव करने जाते हैं।
तो सबसे पहले आपको इमरजेंसी क्रिएट करनी पड़ेगी, आपको एक चीज समझना पड़ेगा कि यह 4 सालों में कामयाब होने का बिजनेस है।
क्योंकि यह बहुत ज्यादा जरूरी है समझना कि इसमें 4 से 5 सालों में कामयाब होते हैं 50 साल में नही। सबसे पहले आपको अपने दिमाग में इमरजेंसी क्रिएट करना बहुत जरूरी होता है
आपको यह सोचना पड़ेगा कि मुझे यह रिजल्ट निकालना है और इसके लिए आपको law of average को भी फॉलो करना पड़ेगा।
आपको यह एक्सेप्ट भी करना पड़ेगा कि मैं 10 लोगों में कम से कम 8 से 9 लोगों को ज्वाइन करा पाऊंगा, अगर 10 में से 8 से 9 नहीं भी करेंगे कोई दिक्कत नहीं लेकिन हमें आगे बढ़ते रहना है आपको अपने तरीके से टारगेट सेट कर लेना है कि जब मैं अपने तरीके से फॉलो-अप करूंगा, क्लोजिंग करूंगा तो उस टाइम पर मेरे पास जितने भी हथियार होगा वह मैं लगा दूंगा
लेकिन अगर आज यह व्यक्ति ज्वाइन हो सकता है तो मुझे इसको इसी वक्त जॉइन कराना है।
यह आपको माइंडसेट क्रिएट करना ही पड़ेगा।
आप किसी से मिलने मत जाइए, आपका काम अपनी कंपनी के बारे में किसी को भी पॉजिटिविटी फैलाने का काम नहीं है आपका काम है रिजल्ट क्रिएट करना।
आप यह सोचिए कि अगर हमें रिजल्ट क्रिएट करना है तो हमें इस प्रकार से क्लोजिंग करनी पड़ेगी और अगर हम रिजल्ट क्रिएट कर पाएंगे तभी हमको यहां पर पैसा मिलेगा और तभी इस बिजनेस में आगे भी बढ़ पाएंगे तो सबसे पहले आपको अपना माइंड सेट करना पड़ेगा।
अब खुद अपने आप से यह सवाल पूछिए जब आप ज्वाइन कराने जाते हैं तो क्या आपके अंदर वह डर है कि कहीं यह व्यक्ति मेरी बात को बुरा ना मान जाए।
कहीं यह व्यक्ति नेगेटिव ना हो जाए यह सब आपको नहीं सोचना है।
आप बस यह सोचिए कि या तो यह व्यक्ति ना बोलेगा या तो हां बोलेगा, बीच का बात मत सोचिए यह व्यक्ति मेरे बातों से नेगेटिव हो जाएगा मेरा फॉलो बिगड़ जाएगा
आप बस इतना सोचिए कि या तो वह व्यक्ति ना बोलेगा या तो हां बोलेगा।
जैसे कि जो व्यक्ति कोमा में रहता है वह व्यक्ति बीच का ही पोजीशन का है वह तो ना पूरी तरह से मारा है ना पूरी तरह से जिंदा है वह ना किसी से बात करता है और नही वह मरता है।
तो कोमा वाली सिचुएशन आप ना रखें आप बस यह सोचिये कि इस व्यक्ति को मुझे ज्वाइन करना है चाहे यह ज्वाइन होने वाला होगा तो हो जाएगा नहीं होने वाला होगा तो मना कर देगा। इस तरह के माइंडसेट आपको क्रिएट करना पड़ेगा।
Point 2: Network Marketing Join 9 Out of 10
Beginning of plan show
आपने प्लान की शुरुआत कैसे किये है, आप प्लान की क्लोजिंग कितने अच्छे से कर पाएंगे, क्लोजिंग में इमरजेंसी क्रिएट करा पाएंगे कि नहीं यह इस बात के ऊपर डिपेंड करता है कि आप अपनी प्लान की शुरुआत कितने अच्छे से किए हैं।
अगर आप प्लान की शुरुआत अच्छे से नहीं किए हैं तो आप क्लोजिंग में कोई दम नहीं लगा पाएंगे ।
आप यह समझाइए की जो क्लोजिंग है वह एक प्रकार का लड़ाई ही है आपके और आपके गेस्ट के बीच की लड़ाई है और उस लड़ाई में जितने के लिए आपके पास एक हथियार होना चाहिए।
और वह हथियार यह है कि आपको अपनी प्लान की शुरुआत में आपने अपने गेस्ट का कोई परपज ढूंढना है।
या तो आपको अपने गेस्ट का कोई सपना निकालना होगा यानी कि जो आपके गेस्ट का सपना है उसके बारे में कुछ ढूंढना पड़ेगा या आपको कोई नीड निकालना पड़ेगा या तो उसकी जिंदगी में कोई ऐसी प्रॉब्लम है जिसका सलूशन निकालने के लिए आप अपनी प्लान को उसको दिखा रहे हैं।
या वह व्यक्ति अपनी जिंदगी में किसी मुकाम पर पहुचना चाह रहा है और उस मुकाम पर उसको पहुंचाने के लिए आप अपने प्लान को दिखा रहे है।
तो अगर शुरुआत सही से नहीं होगा तो आप क्लोजिंग में इमरजेंसी क्रिएट नहीं करा पाएंगे आपका क्लोजिंग बहुत ही कमजोर रहेगा।
आपके पास बोलने के लिए ज्यादा चीजें नहीं होंगे और इस लड़ाई में आपका हथियार नहीं होगा तो आपका हार तो निश्चित है। इसीलिए आपको यह पता होना चाहिए कि प्लान की शुरुआत कैसे करें।
Point 3: Network Marketing Join 9 Out of 10
Decision
इस बिजनेस में अक्सर यह होता है कि कई सारे लोग ऐसे होते हैं जो डिसीजन तो पूछते नहीं हैं, क्योंकि उनके मन में डर रहता है कि कहीं वह व्यक्ति मना ना कर दे।
और बाकी सारे लोग यह करते हैं कि अपना डिसीजन थमा देते हैं यानी कि खुद डिसीजन दे देते हैं तो सबसे पहले यह समझ लेते हैं कि डिसीजन किस प्रकार से पूछना है।
- सबसे पहले तो आप इस बात को ध्यान में रखें की डिसीजन तो पूछना ही पड़ेगा।
लेकिन डिसीजन पूछने से पहले उस व्यक्ति को पहले मोटिवेट करना पड़ेगा।
“Motivate before asking decision”
इंसान जो है वह अगर देखा जाए तो एक चाय का पत्ती जैसा ही है जब तक उसको गर्म नहीं किया जाएगा तब तक वह अपना रंग नहीं छोड़ेगा।
तो जब आप प्लान की शुरुआत करते हैं तो एक जबरदस्त मोटिवेशन होता है एक परपज क्लियर होता है कि इस अपॉर्चुनिटी को क्यों देखना है।
और उसके बाद से जब आप अपने गेस्ट को टेक्निकल चीजे बताने लगते हैं जैसे कि कंपनी क्या है, प्रोडक्ट क्या है किस प्रकार से इसका पेआउट आएगा और क्या करना है क्या नहीं करना है।
तो वह 10 मिनट के अंदर वह शुरुआत की बातें आदमी भूल जाता है।
इसीलिए जब आप अंत में क्लोजिंग करना चाहते हैं तो तब आपका मोटिवेशन का माहौल होना चाहिए।
इसलिए आपको पहले ही अपने गेस्ट को याद दिला देना है कि देखिए सर जब मैं इस मीटिंग का शुरुआत किया था तभी उस टाइम पर ही मैं इस टॉपिक के ऊपर आपसे बात किया था कि आपका यह सपना है और आप इसको पूरा करना चाहते हैं इसके लिए मैं आपको यह अपॉर्चुनिटी दिखाया था।
इस बात को इसलिए रिवाइज कराना जरूरी है कि वह व्यक्ति दोबारा फिर से मोटिवेट हो सके और यह डिसीजन लेने के लिए मानसिक रूप से भी तैयार हो जाए।
डिसीजन पूछने का दूसरा नियम यह है कि आप उनसे उनका डिसीजन पूछिए आप अपना डिसीजन मत दे दीजिए कि चलिए सर शुरू करते हैं इस तरह से अपना डिसीजन उनको नहीं देना है।
बल्कि उनका डिसीजन आपको खुद पूछना है कि उनका डिसीजन क्या है।
क्योंकि इंसान का मेंटालिटी है कि उसे जो भी कुछ पूछा जाता है उसके विपरीत वह सोचने लगता है।
अगर किसी व्यक्ति से यह कहा जाए कि आप उधर मत देखिए तो फिर वह आपसे यह पूछा कि उधर क्या है देखने जैसा।
और जिधर मना किया जाएगा उधर ही वह देखेगा। अगर किसी व्यक्ति से यह कहा जाए कि यह चीज खाना मना है तो उस व्यक्ति को बार-बार वही खाने का मन करेगा क्योंकि वह हर इंसान का स्वभाव है।
इस बात का मतलब यह है कि जब आप अपने गेस्ट को बोलेंगे की आप इसको ज्वाइन कर लीजिए तो बोलेगा कि नहीं मुझे नहीं करना है।
और यह सोचेगा कि यह मुझे जबरदस्ती ज्वाइन करा रहा है तो वहां विपरीत डायरेक्शन में सोचने लगता है।
इसलिए आप डिसीजन खुद उनको ही लेने दीजिए। अगर आपका डिसीजन है तो वह व्यक्ति हां बोल कर चला जाएगा लेकिन वह ज्वाइन नहीं करेगा और दूसरे दिन आपका फोन भी नहीं उठाएगा।
लेकिन अगर वह खुद डिसीजन लिया है इस बिजनेस को ज्वाइन करने के लिए तो वह व्यक्ति डेफिनेटली आपके साथ उस बिजनेस को ज्वाइन कर लेगा और आपके साथ मिलकर यह बिजनेस करेगा ।
डिसीजन आप कुछ इस प्रकार से पूछ सकते हैं।
आप उनके सामने दो ऑप्शन रखिए
आप उनसे यह बोल सकते हैं कि देखिए यह आपका सपना है और इस सपने को पूरा करने के लिए ही मैं आपको यह ऑपर्चुनिटी दिखाया हूं।
मैं अगर 12 लोगों को यह प्लान दिखाता हूं तो उसमें से 6 लोग मेरे साथ इस बिजनेस को ज्वाइन कर लेते हैं और 6 लोग नहीं करते हैं।
वह 6 लोग वह होते हैं जो इस अपॉर्चुनिटी को अपनाते हैं और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाते हैं, अपनी नई जिंदगी शुरू करते हैं उनको कोई नुकसान भी नहीं है।
और 6 लोग वह होते हैं जो फैसला नहीं ले पाते हैं और वापस से फिर अपनी दुनिया में रहते हैं ।
तो यहां पर आपको अपने गेस्ट से यह पूछना है कि आप बताइए एक अच्छा और समझदार व्यक्ति क्या करेगा हां बोल कर एक नई जिंदगी शुरू करेगा कि नहीं बोलकर अपनी उसी जिंदगी में लौट जाएगा, जहां पर सपना पूरा होने का कोई भी चांस नहीं है।
जब आप इतना पूछेंगे तो आपका गेस्ट तुरंत आपसे यह बोलेगा एक समझदार व्यक्ति बोलेगा हां मुझे यह बिजनेस करना है।
जब आपका गेस्ट इतना बोलता है तो फिर दोबारा उनसे यह पूछिये कि आपका डिसीजन क्या है हां या ना।
इस तरीके से आपको पूछना है और अगर आप का गेस्ट डिसीजन नहीं ले पा रहा है तो आप उनको दूसरे तरीके से भी इस डिसीजन को पूछ सकता हैं।
आप उनसे यह बता सकते हैं कि देखिए दुनिया में जितने भी लोग कामयाब हुए हैं और जो नाकामयाब हुए हैं उनके बीच एक फर्क है।
कामयाब और ना नाकामयाब दोनों लोग मेहनत करते हैं लेकिन दोनों के बीच में एक फर्क है कामयाब व्यक्ति के सामने जब कोई डिसीजन आता है तो वह फैसला लेता है वह अपनी जिंदगी का फैसला खुद ले पाता है और यही क्वालिटी उसको एक कामयाब इंसान बनाती है।
जबकि नाकामयाब लोग अपनी जिंदगी का फैसला खुद नहीं ले पाते हैं और जो लोग अपना फैसला खुद नहीं लेते हैं तो दुनिया उनकी फैसला लेती है और जब दुनिया आपकी फैसला लेगी तो आपकी जिंदगी आपके हिसाब से नहीं चलेगी ।
यही क्वालिटी नाकामयाब लोग और कामयाब लोगों के बीच में होती है।
और आप अपने गेस्ट से यह पूछे कि आप मुझे यह बताइए कि आप अपने आपको कौन सी कैटेगरी में मानते हैं कामयाब लोगों की कैटेगरी में कि नाकामयाब लोगों की कैटेगरी में।
क्या आप उस कैटेगरी में हैं कि जो अपना फैसला खुद लेते हैं कि आप उस कैटेगरी में है जो अपना फैसला खुद नहीं ले पाते हैं।
और उनकी फैसला दुनिया लेती है तब आपका गेस्ट चाहे जैसा भी हो वह आपसे यह बोलेगा कि नहीं मुझे अपने आप पर विश्वास है मैं अपना फैसला खुद लूंगा।
तो जो लोग डिसीजन नहीं लेते वह लोग भी डिसीजन लेने लगेंगे अगर आप इस तरीके से पूछेंगे।
Point 4: Network Marketing Join 9 Out of 10
मैं इस बिजनेस को अभी शुरू नहीं किया तो मेरा नुकसान ही है
गेस्ट को हमेशा यह लगना चाहिए कि अगर मैं इस बिजनेस को अभी शुरू नहीं किया तो मेरा नुकसान ही है।
मैं जितना लेट करूंगा उतना मेरा ही नुकसान होगा ।
और यह कैसे पता चलेगा, आपकी स्पीड से ही पता चलेगा आप उनसे यह बताइए कि आप इस बिजनेस को कैसे शुरुआत किए थे।
अब कितनी स्पीड से आगे बढ़े हैं आप उनसे यह समझाइए कि आप जितना लेट करेंगे उतना ही आपका नुकसान होगा।
और यहां पर आप उनको हौसला भी दिलाइए, क्योंकि हर इंसान को सपोर्ट की जरूरत होती है
जैसे कि आप खुद अपना ही कपड़े खरीदने जाते हैं तो आप उस दुकानदार से यह पूछते हैं कि यह कपड़ा अच्छी क्वालिटी के तो है न।
यह कपड़ा अच्छी है न तब दुकानदार आपसे यह कहता है कि कपड़ा बहुत अच्छी है अच्छी क्वालिटी के है आप इसको लेकर जाइए वह दुकानदार आपसे कभी यह नहीं बोलेगा कि यह कपड़ा अच्छी क्वालिटी की नहीं है आप इसको लेकर मत जाइए।
यह बात तो दुकानदार आपसे कभी नहीं बोलेगा, आपको भी यह पता है कि वह यह नहीं बताएगा कि खराब है।
लेकिन फिर भी आप उसके मुंह से सुनना चाहते हैं कि वह क्या बता रहा है।
अगर कोई व्यक्ति सब्जी खरीदने जाता है तो सब्जी वाला से ही यह पूछता है कि क्या यह सब्जी ताजी है।
तो वह सब्जी वाला भी यही बोलता है कि सब्जी ताजा है लेकर जाइए। आपको भी पता है कि वह सब्जी 2 दिन पहले का भी होगा तभी वह सब्जीवाला यही बोलेगा कि सब्जी ताजा है, लेकिन फिर भी आप उनसे पूछते हैं
क्योंकि आपको थोड़ा मानसिक सपोर्ट की जरूरत होती है।
आप यह मानिए की आपका गेस्ट बॉर्डर पर ही खड़ा है आपको उसको थोड़ा धक्का देना पड़ेगा। मतलब आप उनसे यह बोलिए कि आप टेंशन मत लीजिए सब कुछ अच्छा होगा इस बिजनेस को साथ मिलकर करेंगे।
इसको कन्विंसिंग नहीं बोलते हैं इसको मोरल सपोर्ट बोलते हैं। इस मोरल सपोर्ट की वजह से ही आपकी इमरजेंसी क्रिएट नहीं कर पाते हैं।
इतना आपको मॉडल सपोर्ट देना ही पड़ेगा आपको साथ में काम करने का भी विश्वास दिलाना पड़ेगा ।
लेकिन अगर आप सपोर्ट करने के लिए अपने गेस्ट से बोल देते हैं तो बाद में आपको पीछे नहीं हटना है आपको उनका सपोर्ट करना पड़ेगा ।
इस 4 पॉइंट को अगर आप अपनाते हैं तो डेफिनेटली आप 10 लोगों में से 9 लोगों को तो जरूर ज्वाइन करा पाएंगे आप इमरजेंसी क्रिएट कर पाएंगे ।
और आपका क्लोजिंग एकदम जबरदस्त तरीके से बढ़ेगा और आप इस प्रोसेस में डेफिनेटली मास्टर बन सकते हैं।
अगर आप एक बार इस प्रोसेस में मास्टर बन गए तो आपको इस बिजनेस में कामयाब होने से कोई इंसान नहीं हो पाएगा।
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