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Never Do Direct Selling कभी ना करना डायरेक्ट सेल्लिंग आपको भी रिजेक्शन मिलेगा

आज के इस लेख में मैं आप सभी को बताऊंगा कि चार ऐसे कौन कौन से कारण है जिसकी वजह से नेटवर्क मार्केटिंग में आपको रिजेक्शन मिलता है?

अगर आप सेल्स मार्केटिंग या नेटवर्क मार्केटिंग में हैं तो आपको हर रोज रिजेक्शन मिलता ही होगा।

तो आज के इस लेख में मैं आप सभी को यही बताऊंगा कि किन चार कारणों की वजह से रिजेक्शन मिलता है?

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4 Reason of rejection

महत्वपूर्ण बिन्दू

रिजेक्शन का मुख्य कारण क्या है?

जब आपका विचार दूसरे लोगों के विचारों से नहीं मिलता है तो वह सामने वाला व्यक्ति आपके प्रपोजल को साफ-साफ मना कर देता है उसे रिजेक्शन कहा जाता है।

यानी कि आपके प्रपोजल वह सामने वाला व्यक्ति एक्सेप्ट नहीं करता है।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो रिजेक्शन मिलने की वजह से अपने प्रोजेक्ट को, अपने काम को गलत समझने लगते हैं और काम को छोड़ देते हैं।

तो मैं आप सभी को यह बता दूं कि रिजेक्शन सेल्स या नेटवर्क मार्केटिंग में ही नहीं बल्कि दुनिया के हर एक काम में भी रिजेक्शन मिलता है चाहे वह पर्सनल लाइफ हो या प्रोफेशनल लाइफ हो हर जगह पर इस दुनिया के सारे लोग रिजेक्शन से घिरे हुए हैं।

तो चलिए अब उन चार रिजेक्शन के बारे में विस्तार से समझ लेते हैं।

1. Your thought doesn’t match with another person आपका विचार दूसरे व्यक्ति से मेल नहीं खाता

यानी कि जब आपका सोच किसी दूसरे व्यक्ति से नहीं मिल पाएगा तो रिजेक्शन तो मिलेगा ही।

चलिए एक उदाहरण के माध्यम से समझते हैं,

जैसे कि मान लीजिए एक लड़का अपने मामा के घर किसी के शादी में गया वहां पर जब उस लड़की के मामा जी उस लड़के से मिले तो पूछने लगे कि अरे बेटा तुम क्या कर रहे हो?

अब तो तुम्हारी पढ़ाई पूरी हो गई आगे तुम क्या करना चाहते हो?

वह लड़का अपने मामा जी से क्या बोलता है कि मामा जी मैं तो इंजीनियर बनना चाहता हूं।

उसके मामा जी यह समझाने लगते हैं कि इंजीनियरिंग में तो कुछ नहीं है।

क्योंकि मेरे गांव के 4 से 5 लड़के इंजीनियरिंग करके बेरोजगार घर पर बैठे हैं।

और एक मेरा लड़का है जो होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया है उसको बहुत ही अच्छी सैलरी पैकेजेस मिल रही है।

तुम भी होटल मैनेजमेंट कर लो इंजीनियरिंग में तो कुछ नहीं है उसमें सिर्फ टाइमपास है।

और वही लड़का अपने किसी दूसरे रिश्तेदार से मिलता है तो वह लोग उससे यह बोलते हैं कि तुम डॉक्टर की पढ़ाई कर लो इसमें बहुत अच्छा कैसा है।

या फिर कोई यह बोलेगा कि तुम यूपीएससी की तैयारी कर लो सरकारी नौकरी लग जाएगी तो तुम्हारी पूरी जिंदगी सेट हो जाएगी।

लेकिन वह लड़का तो इंजीनियर बनना चाहता है तो अगर उस लड़के के अंदर आत्मविश्वास नहीं होगा तो अपना इरादा बदल देगा।

वह लड़का कोर्स में या पढ़ाई में लग जाएगा जिसमें उसकी बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी।

नेटवर्क मार्केटिंग में भी सेम यही होता है जैसे कि एक लड़का पहले नेटवर्क मार्केटिंग की सेमिनार में गया और उस सेमिनार में जाने के बाद वह लड़का बहुत ही खुश हुआ।

क्योंकि वह लड़का उस सेमिनार में खुद को अमीर बनता हुआ देख रहा था।

उसकी आंखों में बड़े-बड़े सपने थे उसकी वह सपने पूरे होते हुए दिखाई दे रहा था जिस सपने के बारे में बचपन से ही सोचता था।

और उस सेमीनार से निकलने के बाद वह लड़का घर पहुंचता है तो जाकर अपने पापा से यह बोलता है कि पापा मुझे कुछ पैसों की जरूरत है मैं एक बहुत ही अच्छी कंपनी ज्वाइन करना चाहता हूं।

यह कंपनी अच्छी कंपनी है 1 साल के अंदर लखपति और आने वाले 4 से 5 सालों के अंदर मैं करोड़पति बन जाऊंगा।

अपना एक बहुत ही अच्छा घर होगा और बहुत ही अच्छी गाड़ी भी होगी और हम लोग पूरे परिवार के साथ विदेश घूमने चलेंगे।

तो उसके पापा यह पूछते हैं कि अच्छा तो तुम 1 साल के अंदर लखपति और 4 से 5 साल के अंदर ही करोड़पति बन जाओगे यह कौन सा काम है?

तो वह लड़का अपने पापा को यह समझाने लगता है कि पापा मैं इस बिजनेस में सबसे पहले 2 लोगों को ज्वाइन कराऊंगा और वह 2 लोग दो -दो और लोगों को ज्वाइन कराएंगे और इसी तरह से टीम बढ़कर 1000 लोगों की हो जाएगी।

तो आप यह सोचिए कि अगर 1 लोगों से ₹100 भी आएगा तो 1000 लोगों से ₹100 -₹ 100 भी आएगा तो महीने का ₹100000 हो जाएगा।

और एक दिन 10000 लोगों की टीम हो जाएगी और उन लोगों से भी ₹100 -₹100आएगा तो ₹1000000 महीने का हो जाएगा।

तो मैं 1 साल के अंदर भी करोड़पति बन जाऊंगा तो उसके पिताजी यह बोलने लगते हैं कि ऐसी ऐसी कंपनी तो पहले भी बहुत आई और चली गई इस कंपनी में ऐसा कुछ भी नहीं होता है।

यह सब लुटने वाली कंपनी है यह कंपनी तुम्हारा पैसा लेकर भाग जाएगी।

और वो अपने गांव के दूसरे बच्चों का उदाहरण देकर समझाने लगेंगे की उसको देखो इंजीनियरिंग करके कितना अच्छा पैसा कमा रहा है।

मैं उसके पापा से बात करके तुमको भी उसी के पास भेज देता हूं वह तुमको महीने का कम से कम 10 से 11 हजार रुपए तो दिलवा ही देगा।

और वह लड़का अपने पिताजी का बात मान कर बाहर चला जाता है अपने सारे सपने को जहां देखा था वही छोड़ देता है।

और वह पूरी जिंदगी जॉब करके दूसरों को अमीर बनाने में लगा देता है लेकिन वह खुद कभी भी अमीर नहीं बन पाता है।

तो ऐसे ही किसी को अपने घर वालों के द्वारा रिजेक्शन मिल जाता है तो किसी को अपने दोस्त या रिश्तेदार के द्वारा रिजेक्शन मिल जाता है।

और वह लोग रिजेक्शन मिलने के बाद काम को छोड़ देते हैं।

यहां पर समझने वाली बात यह है कि लोग रिजेक्शन क्यों देते हैं?

तो सबसे पहले तो आप यह समझिए कि जिस व्यक्ति से आप महीने का लाख रुपए कमाने की बात करते हैं वह व्यक्ति जॉब करके महीने का सिर्फ 15 से ₹20000 ही कमा पाता है।

तो वह व्यक्ति आपको रिजेक्शन तो देगा ही क्योंकि वह व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी किसी कंपनी में गुजारने के बावजूद भी एक सेकंड हैंड कार भी नहीं ले पाते हैं और आप उस व्यक्ति से यह बोलने लगते हैं कि मैं 2 साल के अंदर ही एक नई कार ले लूंगा।

वह जॉब करने वाले व्यक्ति पूरे 12 घंटे इतनी कड़ी मेहनत करने के बाद महीने का ₹20000 कमा पाते हैं और आप उस व्यक्ति से यह बोलने लगते हैं कि हर रोज इस बिजनेस में सिर्फ 2 से 3 घंटा काम करके महीने का लाखों रुपए कमा सकते हैं।

तो यह बात उस जॉब करने वाले व्यक्ति के समझ से बाहर है इसलिए वह आपको रिजेक्शन दे देता है।

2. Out of thinking सोच से बाहर

यानी कि उनके सोच से बाहर का होना

थॉमस अल्वा एडिसन लोगों से यह बोले थे कि मैं एक ऐसा यंत्र बनाऊंगा जो बिजली से प्रकाश उत्पन्न करेगा।

तो दीये और लालटेन की जमाने में लोग उनको पागल समझने लगे।

लोग सोचने लगे कि यह कौन सा यंत्र बनाएगा जो बिजली से प्रकाश को उत्पन्न करेगा?

लेकिन थॉमस अल्वा एडिसन का सालों का मेहनत और 9999 बार फेल होने के बाद,

जब थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का निर्माण किया तो उन्हीं लोगों का सुर बदल गया।

वही लोग उनको भगवान मानने लगे जो उनको पागल समझते थे।

तो क्या होता अगर उन लोगों का बात मान कर थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब नहीं बनाया होता तो।

3. Depend on other दूसरे पर निर्भर

जो लोग अपना डिसीजन खुद नहीं लेते हैं उनका डिसीजन कोई और लेता है तो उन लोगों से भी रिजेक्शन मिलने की संभावना होती है।

जैसे कि अगर कोई लड़का डॉक्टर बनना चाहता है लेकिन इसके माता-पिता उससे सहमत नहीं हैं तो यह भी एक रिजेक्शन का ही कारण है।

4. संतुष्टि या डर संतुष्ट या भय

यानी कि जो व्यक्ति अपने बिजनेस में या अपने जॉब इतनी संतुष्ट रहते हैं की वह दूसरे बिज़नेस में जुड़ना पसंद नहीं करते हैं तो अगर उन लोगों को आप अपने बिजनेस के बारे में बताएंगे तो वो लोग साफ-साफ मना कर देंगे।

क्योंकि जो काम वो कर रहे हैं उस काम से संतुष्ट हैं, इसलिए वह आपके बिजनेस में कभी भी जॉइनिंग नहीं लेंगे या आपके काम को कभी भी ट्राई नहीं करेंगे।

इसके पीछे एक और भी कारण हो सकता है और वह है डर।

उनको यह डर रहता है कि अगर मैं इस काम को छोड़ दिया और उस बिजनेस में ज्वाइन कर लिया तो अगर मैं उस बिजनेस में सफल नहीं हुआ तो क्या होगा अगर वह काम नहीं होगा तो क्या होगा?

इस लिए बहुत लोग यह बोलने लगते हैं कि हम जैसे हैं वैसे ही ठीक हैं मुझे अमीर नहीं बनना है।

तो जो भी लोग अपने काम से संतुष्ट रहेंगे या किसी दूसरे काम को करेंगे तो वह लोग तो आपको रिजेक्शन तो देंगे ही।

इसलिए आपको रिजेक्शन मिलने पर परेशान नहीं होना है, क्योंकि जो लोग आपके ना कामयाबी पर आपको गालियां देते हैं वही लोग आपके कामयाब होने के बाद तालियां बजाएंगे।

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आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

admin

Kritika Parate | Blogger | YouTuber,Hello Guys, मेरा नाम Kritika Parate हैं । मैं एक ब्लॉगर और youtuber हूं । मेरा दो YouTube चैनल है । एक Kritika Parate जिस पर एक लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं और दूसरा AG Digital World यह मेरा एक नया चैनल है जिस पर मैं लोगों को ब्लॉगिंग और यूट्यूब के बारे में सिखाता हूं, कि कैसे कोई व्यक्ति जीरो से शुरुआत करके एक अच्छा खासा यूट्यूब चैनल और वेबसाइट बना सकता है ।Thanks.

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