Indian Space Research Organization : केंद्रीय मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा को संबोधित करते हुए कहा है कि हम गगनयान मिशन भेज रहे हैं। ऐसे ही एक लिखित सवाल के जवाब में उन्होंने ISRO की एक और उपलब्धि की बारे में दुनिया को बताया है।
जिस प्रकार से भारत आकाश में गगनयान भेजने जा रहा है। ऐसे ही समुद्र के भीतर मानवयुक्त समुद्रयान भी भेजने जा रहा है। यह कारनामा भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( Indian Space Research Organization ) ISRO द्वारा किया जा रहा है।
जिस तरह इसरो 2022 में अंतरिक्ष में गगनयान भेजेगा, जिसमें 3 अंतरिक्ष यात्री 5 से 7 दिन अंतरिक्ष में ही रहेंगे।वैसे ही ISRO राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान ( National Institute of Ocean Technology ) के सहयोग से एक जबरदस्त काम करने जा रहा है। जिसमें वह समुद्र के भीतर 6 किलोमीटर की गहराई में लोगों को भेजने के लिए मानव मिशन बना रहा है।
यानी पानी के भीतर इतनी गहराई में कोई मनुष्य जाएगा और वहां पर रुकेगा एवं वहां पर रिसर्च करेगा। समुद्र की सतह में उपस्थित कुछ वस्तुओं को वह ऊपर लेकर आएगा।
ISRO का मिशन समुंद्रयान क्या है ?
महत्वपूर्ण बिन्दू
यह भारत द्वारा भेजा जा रहा पहला ओसियन मानव मिशन है। जिसने आदमी को सबमैरीन में बिठाकर समुद्र की 6 किलोमीटर गहराई में भेजा जाएगा। सबमैरीन एक ऐसा लड़ाकू वाहन जो पानी के भीतर डूब कर चलता है। भारत समेत दुनिया के जितने भी बड़े देश है जो बहुत अच्छे से युद्ध लड़ने की क्षमता रखते हैं उन सब के पास सबमैरीन है।
सबमैरीन अधिकतम 400 से 500 मीटर तक की गहराई में जा सकता है। समुद्र की गहराई में जितना नीचे सबमैरीन जाती है उस सबमैरीन के तल पर पानी का वजन उतना ही बढ़ जाता है। इसलिए सबमैरीन को अभी तक ज्यादा गहराई में नहीं भेजा गया है।
यदि सबमैरीन ज्यादा गहराई तक भेजा गया तो संभव है कि पानी के प्रेशर के कारण सबमैरीन फट सकता है या उसमें बैठे आदमी को भी जान से हाथ धोना पड़ सकता है। इस चैलेंजिंग मिशन को ISARO पूरा करने जा रहा है।
इस सबमैरीन को ज्यादा प्रेशर झेलने के लिए एक ऐसे टेक्नोलॉजी की जरूरत होगी जिसके माध्यम से पानी के प्रेशर को सबमैरीन बर्दाश्त कर सके।
इस तरह के तकनीकी किन किन देशों के पास है ?
इस तरह की तकनीकी अमेरिका, रूस, जापान, फ़्रांस और चीन के पास है। अब भारत दुनिया का छठवां ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास इस तरह की टेक्नोलॉजी मौजूद होगी।
किसी सबमैरीन को इतनी गहराई में भेजने का क्या फायदा होगा ?
समुद्र की गहराई में बहुत सारे कीमती चीजें छुपी हुई है और समुद्र अपने आप में बहुत सारे राज दफन किए हुए है। इस मिशन के माध्यम से इसके अंदर से बहुत सारी जानकारियां निकल कर सामने आएंगी। इस मिशन पर सरकार 6 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
ऐसा माना जाता है कि जो समुद्र के ऊपर जो खारा पानी है वही पानी समुद्र के नीचे मीठा होता है। आने वाले समय में यदि इसकी खोज हो जाती है कि समुद्र के नीचे पीने योग्य मीठा पानी होता है तो इससे पीने के पानी की समस्या को दूर किया जा सकता है।
आज हमारी धरती का जीतना क्षेत्रफल है उस पर 70 से 75% समुंद्र मौजूद है। आज पृथ्वी के जिस प्लेट पर हम रहते हैं वैसे ही प्लेट समुद्र के नीचे उपस्थित है। जिसमें यह माना जाता है कि बहुत सारे कीमती खनिज उपलब्ध है। जिनको यदि निकाल लिया जाए तो आने वाले समय में हमें अरबों का फायदा हो सकता है।
समुद्र की गहराइयों में भारत के आसपास के क्षेत्रों मे क्या-क्या उपस्थित है ?
भारतीय समुद्री क्षेत्रों में बहुत सारे कीमती चीजें मौजूद हैं। जिसको पता लगाने के लिए इसका ट्रायल 2022 में शुरू होने जा रहा है । जिसमें पहले इसे 500 मीटर उतार कर देखा जाएगा और धीरे धीरे इसे 6 किलोमीटर तक उतार कर देखा जाएगा।
ऐसा माना जा रहा है कि जो भारत और इसके आसपास का क्षेत्र है उसमें 380 मिलियम टन पॉली निकोलिक नोड्यूल, 4.7 मिलियन टन निक्कल,4.29 मिलियन टन कॉपर,0.55 मिलियन टन कोबाल्ट, और 92.59 मैग्नीज उपस्थित है।
समुंद्रयान मिशन से भारत को कितना लाभ हो सकता है ?
समुंद्रयान मिशन सफल रहा तो भारत को इससे बहुत लाभ होगा। हमें लगता है कि समुद्र की गहराई में सिर्फ कोरल्स मौजूद है। लेकिन ऐसा नहीं है इस ओसियन क्षेत्र में बहुत सारी कीमती चीजें भी उपलब्ध है। भारत अपने डीप ओसियन मिशन के तहत इसका पता लगाने जा रहा है। कहा जा रहा है कि यदि भारत ऐसा कर लेता है तो उसे 116 बिलियन US डॉलर का लाभ हो सकता है। जबकि भारत को इस मिशन में 6 हजार करोड़ रुपए का ही खर्च होने वाला है। जो कि लाभ के मुकाबले लागत बहुत कम है।
दुनिया के बाकी देश इन मिशन को कैसे पूरा करते हैं ?
इस मिशन को पूरा करने के लिए दुनिया के अलग-अलग देश सबमैरीन का प्रयोग करते हैं। जो पूरे समय वैज्ञानिकों के साथ चलता है। इन सबमैरीन में वैज्ञानिकों को बैठाकर समुद्र की गहराइयों में भेजा जाता है जहां पर वे खनिजों का पता लगाते हैं और उनके बारे में गहन अध्ययन करते हैं। जानकारी मिलने के बाद वह देश उस खनिज को निकाल कर दुनिया भर में बेचता है और उससे मुनाफा कमाता है।
1. भारत के पहले मानवयुक्त महासागर मिशन का नाम क्या है ?
भारत के पहले मानवयुक्त महासागर मिशन का नाम मिशन समुंद्रयान है।
2. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( Indian Space Research Organization ) ISRO किसके साथ मिलकर अपना मिशन समुंद्रयान कर रहा है ?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( Indian Space Research Organization ) ISRO अपना यह मिशन समुंद्रयान राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान ( National Institute of Ocean Technology ) के सहयोग से करने जा रहा है।
3. भारत को मिशन समुद्रयान पूरा करने में कितने का खर्च आएगा ?
भारत का मिशन समुद्रयान पूरा करने के लिए 6 हजार करोड़ रुपए का खर्च आने वाला है।
4. भारत को मिशन समुद्रयान से कितने का फायदा हो सकता है ?
भारत का अगर यह मिशन कामयाब होता है तो उसे मिशन समुद्रयान से 116 बिलियन US डॉलर का फायदा हो सकता है।
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