India S4 Submarine : हमारे यहां भारत में जब भी कोई नया काम होता है तो उसे हर जगह दिखाया जाता है। वैसे अगर कोई नई मिसाइल, कोई सैटेलाइट या किसी जगह पर मेट्रो का उद्घाटन, किसी भी नए काम को जब किया जाता है तो उसे हमारी मीडिया बहुत जोर-सोर से दिखाती है।
कहने का मतलब यह है कि भारत में कोई भी नया काम किया जाता है तो वह कहीं पर छूप नहीं पाता है। लेकिन फिर भी उसने एक ऐसा काम कर दिया है जिसको किसी को पता नहीं हुआ है। क्योंकि हमारी मीडिया ने इस खबर को कहीं पर भी दिखाया ही नहीं है।
ब्रिटेन की एक न्यूज़ एजेंसी Janes defence weekly ने अपने द्वारा 29 दिसंबर को एक ब्रेकिंग न्यूज़ निकाली थी। जिसमें यह कहा गया था कि भारत ने बिना किसी से बताएं एक न्यूक्लियर सबमरीन 23 को नवंबर ही पानी में उतार दिया है। जिसके बारे में किसी को जानकारी भी नहीं दी गई है। यह घटना नवंबर महीने की है जो उस समय कहीं पर भी नहीं दिखाया गया था । लेकिन इस समय लोगों को इसके बारे में पता चल गया है।
सबमरीन एक ऐसा लड़ाकू जहाज होता है जो पानी के भीतर डूब कर चलती है, जिसे हम पनडुब्बी कहते हैं। यह पनडुब्बी गुप्त रूप से दुश्मन पर हमला करने के लिए जानी जाती है। दुनिया में जब ऐसी चीजें बनती है जो बिना बताए किसी पर अटैक कर दे तो इसकी लॉन्चिंग भी गुप्त ही रखी जाती है। ऐसे भी दूसरे देशों को लगता है कि भारत के पास सिर्फ 2 ही न्यूक्लियर सबमरीन है लेकिन भारत ने तीसरी सबमरीन भी बनाकर पानी में उतार दी है।
सबमरीन जब पानी के भीतर डूब कर चलती है तो वह आगे कैसे देखती है और दिशा को कैसे पता करती है?
महत्वपूर्ण बिन्दू
पानी के अंदर देखने के लिए यह अपने द्वारा एक टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल करते हैं, जिसे हम सोनार कहते हैं। जो sound navigation and ranging के माध्यम से आवाज को सुन कर रिएक्ट करते हैं। यह अपने द्वारा साउंडवेव आगे भेजते हैं जिसमें यह देखा जाता है कि उनके द्वारा भेजा गया साउंडवेव अगर टकरा कर वापस नहीं आ रही है तो आगे रास्ता साफ है और यदि टकरा के वापस आ जा रही है तो आगे रास्ता साफ नहीं है।
क्या भारत के पास न्यूक्लियर सबमरीन नहीं है?
भारत के पास न्यूक्लियर सबमरीन तो कई है लेकिन वह डीजल से चलने वाली है। डीजल से चलने वाली सबमरीन में यह एक परेशानी होती है कि जब वह पानी के भीतर चलती है तो इससे काफी धुआं निकलता है। जो पानी की ऊपर बुलबुले बनकर उठते हैं। इसलिए यह काफी सुरक्षित नहीं मानी जाती है इन बुलबुलों के कारण यह पता लग जाता है कि इधर से कोई सबमरीन आ रही है।
कोई भी देश यह चाहता है कि वह जब सबमरीन बनाएं तो उसमें धुएं का झंझट न हो और ना ही वह ज्यादा आवाज करें। इसलिए वह दूसरे विकल्प ढूंढने लगते हैं। ऐसे में वह सबमरीन के भीतर ही न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाते हैं। यह न्यूक्लियर पावर प्लांट धुएं और आवाज को कम कर देता है।
पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस से यह डील किया था कि वह उससे सबमरीन खरीदेगा । फ्रांस ने भी ऑस्ट्रेलिया को यह कहा था कि हम आपको सबमरीन बनाकर देंगे वह डीजल से चलने वाली होंगी । इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया से कहा कि आप डीजल से चलने वाले सबमरीन क्यों ले रहे हैं हम आपको न्यूक्लियर सबमरीन देने को तैयार है। अमेरिका और ब्रिटेन से यह सुनने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस से यह डील रद्द कर दी और अमेरिका एवं ब्रिटेन से अपनी डील कर ली थी।
यह कैसे पता चला कि भारत ने न्यूक्लियर सबमरीन बना कर पानी में उतार दिया है?
ब्रिटेन की एक न्यूज़ एजेंसी Janes defence weekly ने अपने द्वारा 29 दिसंबर को एक ब्रेकिंग न्यूज़ प्रकाशित किया। जिसमें यह खबर थी कि भारत ने एक न्यूक्लियर सबमरीन महाविनाशक सीक्रेट पनडुब्बी S4 बनाकर पानी में उतार दिया है। उन्होंने इसे सेटेलाइट के माध्यम से देखा था। सेटेलाइट के माध्यम से पूरी दुनिया को आप देख सकते हैं लेकिन इसमें दिख रहे तस्वीरों को आप सही तरीके से कैलकुलेट नहीं कर सकते हैं।
लेकिन उन्होंने इसके इमेज को जूम करके देखा और पूरा अध्ययन किया कि इस सबमरीन का जो वजन है वह 7000 टन है और इसकी लंबाई भी पुरानी सबमरीनो से बड़ी है। उनका यह मानना है कि इसमें वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम दिया गया है।
क्या भारत के पास इस तरह की सबमरीन मौजूद है?
हमारे पास INS अरिहंत और अरीघात पहले से ही मौजूद है। उनकी तुलना में यह काफी लंबी बनाई गई है। क्योंकि इसमें वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम दिया गया है जो किसी भी मिसाइल को वर्टिकल भी लॉन्च कर सकती है। इसके आ जाने के बाद इससे ब्रह्मोस मिसाइल से भी दागी जा सकती है। यह अपने साथ कम से कम 8 K-4 बैलिस्टिक मिसाइल ले जा सकती है।
सबमरीन के अंदर जो मिसाइल लगी होती है वह उसके आगे की तरफ लगी होती है जिसे जब लांच किया जाता है तो वह कुछ झटके देती हैं जिसे वह सहन कर लेती है। इसमें जब सबमरीन से मिसाइल आगे कुछ दूर पानी के अंदर आगे चलकर ऊपर की ओर बैलेस्टिक मिसाइल की तरह चली जाती है।
अगर मिसाइल कुछ दूर चलने के बाद सीधे हो जाय तो इसे क्रूज, और यदि चांद जैसी आकृति बनाकर मुड़ जाए तो इसे बैलेस्टिक मिसाइल कहा जाता है। सामान्यतः सबमरीनो में बैलेस्टिक मिसाइल ही लगी होती है। बैलेस्टिक मिसाइल जब छोड़ी जाती है तो यह पीछे की तरफ झटका देती है जो यह झेल लेता है लेकिन यदि इससे क्रूज मिसाइलें दागी जाए तो इसके डूबने का भी खतरा रहता है। क्योंकि कोई भी मिसाइल जब छोड़ी जाती है तो वह क्रिया के बाद अपनी प्रतिक्रिया भी देती है।
महाविनाशक सीक्रेट परमाणु पनडुब्बी S4 से जुड़ी हुई कुछ जानकारी महत्वपूर्ण
- भारत ने विशाखापत्तनम में अपनी तीसरी अरिहंत कटेगरी की परमाणु संचालित पनडुब्बी लॉन्च कर दी है।
- इसे गोपनीय तरीके से विशाखापत्तनम स्थित गोपनीय शिप बिल्डिंग सेंटर से लॉन्च किया गया है।
- यह अपने साथ कम से कम 8 K-4 बैलिस्टिक मिसाइल ले जा सकती है।
- यह रिपोर्ट ब्रिटेन की पत्रिका जेन्स डिफेंस वीकली ने दी है।
- न्यूक्लियर सबमरीन 23 नवंबर को ही पानी में उतार दिया है।
- पनडुब्बी में 82.5 MW का लाइट वॉटर रिएक्टर लगाया गया।
- पत्रिका जेन्स डिफेंस वीकली ने कहा है कि सैटेलाइट इमेज से उनको यह खबर की पुष्टि हुई है।
- यह 7000 टन वाला SSBN सामान्य से थोड़ा बड़ा हैं।
- इसमें 6000 टन वाले INS अरिहंत के लिए 111.6m की तुलना में 125.4m की लोड वॉटर लाइन माप है।
- इसमें S4 SSBN 8 3500 किलोमीटर रेंज के मिसाइल या 24 750 किलोमीटर रेंज के मिसाइल से स्ट्राइक किया जा सकता है।
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