इस मुहूर्त में करें बप्पा की स्थापना, जानें पूजा की विधि
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का हर किसी को इंतजार रहता है। इस दिन प्रथम पूज्य और गौरी पुत्र गणेश घर-घर में विराजमान होते हैं। हिन्दू धर्म में श्री गणेश का एक विशेष स्थान है, किसी भी पूजा या शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश के साथ होती है। उन्हें बप्पा के नाम से जाना जाता है और बच्चों से बड़ों व सभी वर्ग के लोग गणेश चतुर्थी का पर्व श्रृद्धाभाव से मनाते हैं। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023, मंगलवार को है।
पुराणों के अनुसार, इसी दिन माता पार्वती ने अपने मैल से एक पुतला बनाकर उसमें प्राण डाले थे और नाम दिया था गणेश। गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा की स्थापना होती है और फिर पूरे 10 दिन तक यह उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आइए जानते हैं पूजा का मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में…
स्थापना मुहूर्त
चतुर्थी तिथि आरंभ: 18 सितंबर, सोमवार, दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से
चतुर्थी तिथि समापन: 19 सितंबर, मंगलवार दोपहर 3 बजकर 13 मिनट तक
गणेश जी स्थापना मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 01 मिनट से दोपहर 01 बजकर 28 मिनट तक (अवधि-2.27 मिनट)
ऐसे करें स्थापना
– सबसे पहले स्थापना का संकल्प लें और अपने दाएं हाथ में अक्षत (चावल), गंगाजल, पुष्प और कुछ द्रव्य लेकर संकल्प करें कि हम गणेश जी को अपने घर में (तीन, पांच, सात या दस दिन के लिए) विराजमान करने जा रहे हैं।
– “ऊं गणेशाय नम:” मंत्र का जाप करें।
– संकल्प लेने के बाद श्री गणेश जी की मूर्ति ले आएं।
– जिस स्थान पर गणेश जी को विराजमान करना हो उस स्थान को पवित्र और साफ कर लें।
– कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। हल्दी की चार बिंदी लगाएं।
– एक मुट्ठी अक्षत (चावल) रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। रंगोली, फूल, आम, जामुन के पत्तों एवं अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं।
– एक तांबे का कलश पानी भरकर उसमें एक सिक्का एक सुपारी और लाल पुष्प डाल दें फिर आम के पांच, सात, या नौ पत्ते और नारियल से कलश को सजाएं।
– जब गजानन को लेने जाएं तो स्वच्छ और नवीन वस्त्र धारण करें। यथासंभव हो तो चांदी, तांबे या पीतल की थाली में स्वास्तिक बनाकर, फूल-मालाओं से सजाकर उसमें गणपति को विराजमान कर अपने घर लाएं।
– प्रतिमा बड़ी हो तो आप अपने हाथों में या सर पर रखकर भी ला सकते हैं। जब घर में विराजमान करें तो उनका मंगलगान या कीर्तन करें।
– गणपति को लड्डू या मोदक का भोग लगाएं। लाल पुष्प चढ़ाएं। प्रतिदिन की पूजा में प्रसाद के लिये पंच मेवा अवश्य रखें।
– गणेश जी के आगे एक छोटी कटोरी में पांच छोटी इलायची और पांच कमलगट्टे रख दें। गणेश जी जब तक स्थापित हैं इनको गणपति के आगे ही रहने दें।
– बाद में इसे एक लाल कपड़े में रखकर पूजा स्थल पर रहने दें और छोटी इलायची को गणपति का प्रसाद मानते हुए ग्रहण कर लें।
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